Page 25 - Mann Ki Baat - Hindi May 2022
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        अिजािी समस्ाओं से निपरिे क निए     मिोिैज्ानिक  सियोग  उसका  सम्ि
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                                                             ै
        उद्यमी  परामशन्सदाता  पर  निभन्सर  िो  सकता   बिता  ि।  यिी  कारण  ि  वक  युिा  उद्यमी
                             न्स
         ै
                                                             े
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                                                  े
        ि।  उदािरण  क  निए,  बोड  का  गठि,   और उसक पथ प्दशन्सक क बीच अंतससंबंध
        नििेशकों  का  प्बंधि,  प्त्ारशत  ग्ािकों   सबसे अक्धक ज़रूरी िोते ि। ैं
        से संबंध साधिा, सरकार और नियामकों
                                           भारत में युिा उद्यनमयों को उत्ष्ट कायन्स
                                                                  ृ
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        से  विमशन्स,  काििी  मुद्  और  ऐसे  अन्य
                                           करिे  और  िए  उद्यनमयों  कती  तिाश  का
        बेहिसाब  कायन्स  रजिमें  उद्यमी  को  पथ
                                                    े
                                           कायन्स कर रि पथ प्दशन्सक संगठिों क िम
                                                                     े
        प्दशन्सक कती ज़रूरत पड़ती ि। ै
                                                      ैं
                                           बेिद आभारी ि। कम्पिी कती सफिता का
        ििीं,  समूची  ठोस  मदद  से  बढ़कर  पथ   पूरा  श्य  उद्यमी  को  फदया  जाता  ि,  परंतु
                                                                    ै
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        प्दशन्सक द्ारा उद्यमी को दी गई भाििात्मक   निष्ठािाि  परामशन्सदाताओं  कती  भूनमका
                                      ै
        मदद  किीं  अक्धक  मूल्िाि  िोती  ि।   कती भी प्शंसा कती जािी चाहिए।
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        उद्यमशीिता कती राि पर स्वयं अकि िी
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                                           स्ार-अप  क  क्ेत्  में  प्ाचीि  भारतीय
                                               न्स
                                                     े
        चििा पड़ता ि। इसनिए ऐसा व्क्क् जो
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                                           गुरु-रशष्य परम्परा फि-फि रिी ि और
                                                                      ै
                                                               ू
        खुद कभी उद्यमी रिा िो, अन्य युिा उद्यमी
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                                           आिे  िाि  िरषों  और  दशकों  में  भारतीय
        क डरों, अनिनचितता और रझझक को ठीक
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                                               न्स
                                           स्ार-अप  आंदोिि  प्ोत्साहित  करती
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                                  े
        से समझ सकता ि। नििाज़ा, पिि काम
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                                           रिगी।
        कर चुका और खतरे उठा चुका व्क्क् िी
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        युिा संस्ापक क इस्तििािों और पीड़ाओं
                                                        े
        को समझ सकता ि। और इन्ीं कमज़ोर       उद्यमियों को बढ़ाव़ा दते पथ प्रदर्शक
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                                                क़्ा कहते हैं, ज़ानने क लिए
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        िम्ों में युिा उद्यमी क निए िौसिािुमा
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