Page 45 - Mann Ki Baat - Hindi, August 2022
P. 45
े
्
भारतीय थाली म �मलटस
वार बाजरा झगोरा कगनी
ं
ं
ज़ान
ु
दोसा �खचड़ी खीर म क ु
अ�णाचल दश चावल क� तलना म � गजरात और दूध, चीनी, और आमतौर पर चावल क े
े
ु
ु
े
क� मोनपा बहतर पोषक त� होन े राज ान म लोक� य झगोरा स तयार आट स बना यह
े
े
�
े
ै
ं
े
ं
जनजा�त का म क कारण, ार दोसा यह पौ� क जन यह उ राखड का लोक� य और पारंप�रक
ु
ं
े
े
े
भोजन, ज़ान एक चावल स बन दोस का बाजरा और दाल स े द��ण भारतीय नमक�न,
ं
एक � और पसदीदा मीठा
ं
े
ै
ै
कार का रागी तयार �कया जाता ह। ै वक क �प स कगनी
ै
ं
ू
पौ� क �वक ह। ै जन ह। नतम
े
द�लया ह। रागी बाजरा मोटाप और स बनाया जा सकता ह। ै
ै
े
ै
ार ोटीन, फाइबर, कलोरी वाला यह
ु
े
े
�वटा�मन बी और मधमह क खतरे को चावल क� तुलना म �
फो�लक ए�सड, �मलट अ��धक
े
�
ं
ै
पोट�शयम का एक कि�शयम, आयरन, कम करता ह। यह ऐस े कगनी म ोटीन क�
े
ै
ु
ै
ु
ै
ृ
उ ोत ह, और �ज�क, और सो�डयम स े कई पोषक त�� का सपा� ोटीन, मा ा दोगनी होती ह। यह
ु
े
ै
मधमह और �दय भरपर होता ह। यह �दय एक अ�ा ोत ह जो आयरन, डाय ी ड शगर, कोल� ॉल
ु
े
ू
ै
ं
ं
े
रो�गय� क �लए सबधी सम�ाओं, बाल�, �चा और फाइबर का एक को �नय� त करता ह ै
ं
ू
े
अ�ा ह। ै मोटाप और ग�ठया को नाख़न� को � अ�ा ोत ह। ै और रोग �तरोधक
े
ं
�नय� त करता ह। ै रखत ह। � �मता को बढ़ाता ह। ै
A½fVfûd¿f°f IYS³fm ¸fmÔ ¸fýý IYS°ff W`, 2. ª½ffS ¦fd¸fʹfûÔ IZY d»fE ¶fmW°fS Wû°ff
E½fa °½f¨ff, À½ffÀ±¹f, AüS ´fiªf³f³f W` - CÀfIZY Àff±f ¨fM³fe IYf Àfm½f³f
Ãf¸f°ff IYû ¶fmW°fS ¶f³ff°ff W`Ü A¨Lf SWm¦ffÜ
Àf½fûÊØf¸f ´fdS¯ff¸fûÔ WZX°fb : 3. Sf¦fe ´fcSm Àff»f ·fS ´fi¹fböY WXû ÀfIY°ff
W`, ¶fd»IY CÀfIYf ýûÀff, »fçc, Afdý
x ¶fm°fS°fe¶f PÔ¦f Àfm (¸f»Me¦fim³f ·fe ¶f³f°ff W`Ü ¶ffªfSm IYf ¶f³ff »fçc
¶fimO IYe °fSW) d¸f»fZMÐXÀf IYû ³fWeÔ ·fe ¶fmW°fSe³f Wû°ff W`, AüS ¶ff»f
d¸f»ff³ff ¨ffdWE, AüS EIY ¶ffS ¸fmÔ ÓfOÞ³fm IYe Àf¸fÀ¹ff ¸fmÔ »ff·fIYfSe
EIY We A³ffªf £ff³ff ¨ffdWEÜ SW°ff W`Ü
x ·fûªf³f ¦fbOÞ AüS §fe IZY Àff±f Àf¸ff~
dIY¹ff ªff ÀfIY°ff W`Ü ´ffSX¸´fdSXIY Jfô ´fýf±fûË Àfm ýcSX
x ¨fM³fe IYû Jf³fm ¸fmÔ Vffd¸f»f dIY¹ff ªff ªff³fm Àfm C³fIYe Jm°fe IY¸f WXû ªff°fe
ÀfIY°ff W`Ü WX`, dªfÀfIYf d¸f˜e IZY À½ffÀ±¹f AüSX
´ffdSXdÀ±fd°fIYe ´fSX ´fid°fIcY»f ´fi·ff½f ´fOÞX°ff
¸füÀf¸f IZY A³fbÀffS d¸f»fZMÐXÀf IYf WX`, dªfÀfÀfm ³f IZY½f»f WX¸ffSXf À½ffÀ±¹f
Àfm½f³f BXÀf ´fiIYfSX IYSmÔX: ¶fd»IY WX¸ffSXf ´fcSXf ·fd½f¿¹f J°fSXm ¸fmÔ
1. ¶ffªfSf AüS ¸fIYBÊ ÀfdýʹfûÔ IZY d»fE ´fOÞX ªff°ff WX`Ü WX¸fmÔ d¸f»fmMÐXÀf IYû A´f³fe
W` - CÀfm ¦fbOÞ AüS §fe IZY Àff±f »fmÔÜ ±ffd»f¹fûÔ ¸fmÔ ½ff´fÀf »ff³ff ¨ffdWXE!
41 41