Page 48 - Mann Ki Baat Hindi
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िरकया ियाथ, िरकया कवकयाि,


                                               िरकया कवश्याि

                          िमयावेशी िए भयारत में ददव्ययांगजिों

                                                                 े
                                       े
                                     क सलए प्रौद्ोगगकी क लयाभ
                                                        ां
                  हमारे  ददव्यांर  भाई-बहन  क्ा     मानन्रीय  प्धानमत््री  श््री  नरेन्द्  मयोद्री  ने
                     ैं
          कर  सकिे  ह,  यह  हमने  टोक्ो    2015  में  अरने  ‘मन  की  बात’  सम्योधन
                                                               े
                        े
                            ै
          पैरानल ं क्पक्स  में  दखा  ह।  खेलों  की   में,  गुजरात,  अहमदाबाद  क  दृखष्टबागधत
                                                                े
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          िरह हरी, कला, अकिममक्स और दूसरे   णशक्षक ददलरीप चौहान की प्रक कहान्री
               े
          कई  क्त्ों  में  ददव्यांर  साररी  कमाल   साझा की थ्री णजसमें ददि्रीर ज्री ने बताया
                                                                       ू
                 ैं
          कर रह ह, लक्कन, जब इन सानरयों    था वक वकस प्कार उन्ोंने अरने स्कि
                   े
               े
          को  टक्ोलॉजरी  की  िाकि  ममल     में  ‘सुगम्  भारत  ददिस’  मनाया।  उनकी
              े
                                                         ां
                               े
          जािरी  ह,  िो  ये  और  भरी  बड़  मकाम   कहान्री से प्धानमत््री काफी प्भावित हुए
                ै
                                 भु
                                                                       ु
          हामसल करक ददखािे ह। ैं           और  उन्ोंने  सयोचा  वक  वकस  तरह  कछ
                   े
                                           ियोग दुभा्पग्यरण्प दुघ्पटनाओां की िजह से
                                                     ू
                                                              ैं
                                                     ां
                                                           े
                                                                   ु
                – प्रधानमंत्री श्ररी नरेन्द् मोदरी  अरना कयोई अग खयो दते ह, िहीं कछ ियोग
                                                             े
                                                 ां
           (‘मन की बाि’ क अपने सम्ोधन में)  “विकिागता” या दयोष क साथ रैदा हयोते
                      े
                                            ैं
                                           ह।  वबना  वकस्री  गित्री  क  इन  उज्ज्ि
                                                              े
                                           और  प्वतभाशाि्री  ियोगों  कयो  अक्सर
                                                       ां
                                           उनकी  “विकिागता”  से  रहचाना  जाता
          “मैं  आदरण्रीय  प्धानमत््री  ज्री  कयो
                            ां
                                            ै
                                           ह और समाज में अरमालनत वकया जाता
                          ूँ
          धन्िाद  करना  चाहगा  वक  उन्ोंन  े
                                                              ां
                                           ह।  कई  बार  उन्  विकिाग  और  अशक्त
                                                       ें
                                            ै
          हमारे काय क बारे में ‘मन की बात’
                    े
                  ्प
                                           जैसे  अरमानजनक  शब्ों  से  बुिाया  ि
          में बताया। हज़ारों कायकता, ियोनस,  ्प
                               ्प
                           ्प
                                                            ै
                                           ररेशान  वकया  जाता  ह,  णजसका  उन  रर
                  ्प
          इन्नयोिेटस, सबकी तरफ से मैं उनकयो
                                           मनयोिैज्ालनक रूर से हालनकारक प्भाि
                              ूँ
          आभार  वक्त  करना  चाहगा,  और
                                                 ै
                                                                ां
                                           रड़ता  ह।  इसलिए,  प्धानमत््री  ने  ियोगों
          यह  भ्री  बताना  चाहगा  वक  हम  सब
                         ूँ
                                           कयो  उनक  लिए  “विकिाग”  की  जगह
                                                              ां
                                                  े
                            ै
          कयो यह महसूस हयो रहा ह वक हमार्री
                                           “ददवाांग” शब् का प्ययोग करने क लिए
                                                                    े
                               ै
               े
          णज़म्दार्री अब और बढ़ गई ह।"
                                           प्योत्साठहत वकया।
                                 े
                          -प्रिव दियाई,
                                                      ु
                                           भारत  में  कछ  बेहद  प्वतभाशाि्री
                               ां
                             सस्ारक
                                                                    े
                                           ददवाांगजन  हुए  ह  णजन्ोंने  दश  कयो
                                                          ैं
             िॉइस ऑफ स्पशि्री एबल्ड र्रीरि
                       े
                                                            ै
                                           गरौरिास्कन्त  वकया  ह।  उनमें  से  एक
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