Page 32 - Mann Ki Baat - Hindi May 2022
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स्वयं िहयायतया िमूह


           आत्मनिभन्सर भारत क निए महििाओं का सशक्तीकरण
                                  े

                                           आज क युग में, महििाओं कती भूनमका में
                                                े
                  िंजािुर डॉल खिसूरि हरोने क
                          ू
                                    े
                                                            ै
                                           काफती बदिाि आया ि और यि उक्चत भी
          साथ-साथ  मरहला  सशतिीकरण
                                           ि।  राष्ट्ों  में  स्स्रता  सुनिनचित  करिे  कती
                                            ै
          की एक नई गाथा भरी थलख रहरी ह।
                                    ै
                                                      े
                                           बात िो या उिक विकास कती—इवतिास में
          िंजािुर  में  मरहला  स्वयं  सहायिा
                                           ऐसी अिेक महििाए ि रजिक योगदाि
                                                                 े
                                                            ैं
                                                          ूँ
          समूहों  क  स्रोर  और  क्कयरोस्क
                 े
                                                                    ै
                                           को  आज  भी  याद  वकया  जाता  ि।  अपिे
                   े
                      ैं
          भरी  खुल  रह  ह।  इससे  कई  गररीि
                                                                      े
                                           दश कती बात करें, तो भारत में कई प्रक
                                            े
          पररिारों  की  मजंदगरी  िदल  गई  ह।
                                    ै
                                                 ूँ
                                           महििाए  रिी  ि  रजन्ोंिे  आम  जि  का
                                                       ैं
          ऐसे  क्कयरोस्क  और  स्रोर  की  मदद
                                           िेतृत्व वकया और साथ िी अन्य महििाओं
                  ँ
          से  मरहलाए  अि  अपने  उत्ाद  सरीध  े
                                           का मागन्सदशन्सि भी वकया।
          ग्ाहकों करो िेच सकिरी ह। ैं
                                           प्धािमंत्ी  िरेन्द्  मोदी  िे  ठीक  िी  किा
                   – प्रधानमंत्री नरेन्द् मरोदरी  ि- “यफद िमारी आबादी का 50 प्वतशत,
                                            ै
                                    ें
                          े
               (‘मन की िाि’ क सम्रोधन म)   महििा िोिे क कारण घरों में बंद ि तो िम
                                                                    ैं
                                                     े
                                           सफिता प्ाप्त ििीं कर सकते ि।” समाज
                                                                  ैं
                                                                        ै
                                           में  महििाओं  कती  भूनमका  मित्वपूणन्स  ि।
                                           सरकार का प्मुख जोर वित्तीय सिायता,
                                           कौशि  और  प्रशक्ण  क  माध्म  से
                                                               े
                                                                   े
                                           महििा  उद्यनमयों  को  बढ़ािा  दिा  रिा
                                            ै
                                                                     ै
                                           ि।  जैसे-जैसे  भारत  एक  प्मुख  िनश्क
           “जब से प्धािमंत्ी जी िे िमारा   आनथसिक शक्क् बि रिा ि, दश कती विकास
                                                             ै
                                                               े
           (‘मि कती बात’ में) उल्ख वकया    गाथा  में  महििाओं  कती  भागीदारी  फदि-
                            े
            ै
           ि,  तब  से  बािर  से  िोग  चीज़ें   प्वतफदि विरशष्ट िोती जा रिी ि। ै
                   े
           खरीदिे  क  निए  िमारी  तिाश     प्धािमंत्ी  िे  अपिे  ’मि  कती  बात’
           में आ रि ि। इस राष्ट्ीय मान्यता   सम्ोधि  में  बताया  वक  कसे  उन्  ें
                  े
                   ैं
                                                                  ै
           िे  िमें  और  अक्धक  प्रसद्ध  िोिे   तनमििाडु  क  तंजािुर  क  एक  स्वयं
                                                               े
                                                     े
           का  अिसर  फदया  ि।  मैं  सभी  22   सिायता  समूि  से  एक  फदिचपि  उपिार
                         ै
           स्वयं सिायता समूिों कती ओर से   नमिा था। यि एक विशेर तंजािुर गुहड़या
                             ं
           धन्यिाद करिा चािती ह।”          थी,  रजसमें  भौगोनिक  सूचकांक  (जी.
                                                      ै
                                                 ै
                                           आई.) रग भी ि। उन्ोंिे किा, “इस उपिार
                               - िृंदा,
                                           में भारतीयता कती सुगंध और मातृ-शक्क्
             महििा एसएचजी सदस्, तंजािुर
                                           का आशीिान्सद ि - मेरे निए उिक स्ेि कती
                                                                  े
                                                      ै
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