Page 67 - Mann Ki Baat - Hindi May 2022
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दो िर पिि, मिामारी से जूझ रिी दुनिया
का जब िाॅकडाउि से सामिा हुआ, तो
भारतीयों िे खुद को दूरदशन्सि पर रामायण
और मिाभारत जैसे दो क्ारसक
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धारािाहिकों क सामिे पाया था। इन् ें
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दखते हुए एक ओर जिा िहरष्ठ जि पुरािे
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समय को याद कर रि थे, ििीं, युिा पीढ़ी
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का पहरचय जीिि जीिे कती उस प्ाचीि
और आदशन्स मूल् पद्धवत से हुआ, रजसे इि
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भारतीय ग्थों में बताया गया ि। ै
मिाभारत और रामायण जैसे पवित्
भारतीय पौरारणक मिाकाव्ों को
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किि भारतीय जिमािस िी प्ेरणा
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स्ोत क तौर पर ििीं दखता, अवपत ु
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दुनिया भर में अिेक िोग िवतकता पर
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अंतदृखष्ट क निए इिका सम्ाि करत े असर क प्ारूप को दुनिया क समक् पेश
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ि। यि मािि मस्स्तष् क उि जहरि करती ि। ै
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तत्तों को उद्ाहरत करते ि रजन्ोंि े िेदों और उपनिरदों जैसे प्ाचीि भारतीय
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बाह् जगत को सदा िुभाया ि। िानिया साहिस्त्क ग्थ - ‘िसुधैि कर ु म्कम्’
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‘मि कती बात’ सम्ोधि में आदरणीय विश् एक पहरिार विचार को विश् और
प्धािमंत्ी िरेन्द् मोदी िे जापाि क भारत क निए व्ाख्ाक्यत करते ि। आज
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िोगों क उि उदािरणों का भी उल्ख क आधुनिक समाज कती िींि में सि-
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वकया जो ‘भारत क प्वत स्ेि और अस्स्तत्व कती भाििा को मज़बूत करिे
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अद्त मोि मि में रखते ि।’ इसक क निए यि विचार आधारिुमा ि। विदशी
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उदािरणस्वरूप, प्ख्ात किा निदशक जिसाधारण क समक् विविध भारतीय
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रहररोमश करोइक के द महाभारि प्ररोजेक्ट किाए, प्ाचीि परम्पराए; योग, आयुिकेद
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और जापाि क प्रसद्ध फफल्म निदशक आफद जैसे विनभन्न गुण भारत क गिरे
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यूगरो साकरो द्ारा 4K में रीमास्ड न्स असर को व्ाख्ाक्यत करते ि। ैं
रामायण का एनिमरड प्स्ततीकरण -
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भारतीय मिाकाव्ों, पाकशिी, धमषों,
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द लजेंड आॅफ क्प्रंस राम क रूप म ें
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उत्सिों, अध्ात्म, रसिेमा, पौरारणक
भारतीय मिाकाव्ों क ‘किात्मक’
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कथाओं और धरोिर का सम्पूण विश्
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प्ारूप का पिनिसि माण वकया गया ि। ै
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पर एक समािेशी असर ि, जो प्त्क
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ज़ाहिर ि वक भारतीय इवतिास और भारतीय क हृदय को गि से भर दता
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संकिवत विश् क निए धरोिर स्वरूप ि, ै ि। इससे िमें िए िनश्क संदभषों िाि े
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जो वक ‘अिेकता में एकता’ क विचार में सिजीिि में विविधता और साकिवतक
निहित भारतीय अफद्तीयता और सिन्सव्ापी सिवरिया का बोध िोता ि। ै
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