Page 34 - Mann Ki Baat Hindi
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आज़यादी कया अमृत महोत्सव:
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कसे बना जन आन्योिन
राष्ट जब एक साथ उत्सि मनाते ह तयो िे
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आरस में जुड़ते भ्री ह और इस्रीलिए रिषों-
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उत्सिों की दश कयो जयोड़ने िाि्री भािना
अत्त महत्वरण्प ह। स्वतन्त्ता ददिस
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और गणतन्त् ददिस जैसे रिषों की हमें उन
सघषषों और बलिदानों की याद ददिाने
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में महत्वरण्प भूलमका ह जयो हमारे रुरखों
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कयो वब्ठटश औरलनिणशक सत्ता कयो हटाने
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और अरने दश में नए तर्रीक का शासन-
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जरी क्कशन रेड्री प्शासन चिाने क लिए करने रड़। हमार्री
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कन्द््रीय सांस्कवत, रय्पटन एिां
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उत्तर-रि्प क्षेत् विकास मत््री
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भारत की चेतना रूरे िष हमारे रिषों-
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त्योहारों में वक्त हयोत्री ह। दि्री-दिताओां,
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सतों-रैगबरों, इवतहास, सांस्कवत और
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मरौसमों क प्ारम्भ से जुड़ उत्साहरण ्प
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आययोजन दश भर में प्ायः प्वतददन वकए
जाते ह। फसिों की कटाई से रयोराई
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तक, हर वगक्त इन रांगारांग उत्सिों में
भाग िता ह। जब भारत अरने अद्त
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अत्रीत की ररम्पराओां से जुड़ता ह, तयो
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इसकी ज्रीिन्ता प्कट हयोत्री ह। हािाांवक
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भारत क ज़ादातर रि-त्योहार विलभन्न
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क्षत्ों से जुड़ ह िवकन उनका सदश
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सािभरौलमक हयोता ह और यह्री बात,
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भारत्रीय रि-त्योहारों कयो बाकी दुलनया
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से विणशष्ट बनात्री ह।
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