Page 31 - Mann Ki Baat Hindi
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        की  गई  न्रीवतयों  तथा  काय्परिमों,  उनक   णजसने अत्रीत में कई विचारों कयो बागधत
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        द्ारा लिए गए प्मुख लनण्पयों और उनक   वकया  ह।  दूसरे  शब्ों  में,  सबकयो  स्रीलमत
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        काय्पकाि क दरौरान णजन चुनरौवतयों का   सयोच  से  इतर  नए  विचारों  और  निाचारों
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        सामना करना रड़ा, उनक आधार रर इन     क साथ प्ययोग करने की स्वतांत्ता हयोन्री
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        प्धानमांवत्यों  की  ओर  ध्ान  आकवषवित   चाठहए  और  वकस्री  भ्री  तरह  का  सकयोच
        वकया जाना चाठहए।                   नहीं हयोना चाठहए।
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        दूसरा  मसद्ान्त  यह  था  वक  प्धानमत््री   िरीसरा, िवकन बहुत महत्वरूण णसद्धान्
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        सग्रहािय  का  लनमा्पण  करते  समय,   ’सतिन’  था।  श््री  मयोद्री  ने  कहा  वक
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        ’कल्पना दाठरद्रय’ कयो दूर करना चाठहए,   प्त्क  प्धानमत््री  क  कायकाि  क
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