Page 40 - Mann Ki Baat - Hindi May 2022
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                ग्यामीण मरहलयाओ ं कया जीवन बदल रह ह एिएचजी
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                िए भारत में आत्मनिभन्सरता कती नमसाि चंदा बैरागी
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          स्वयं  सिायता  समि  से  जड़ी  महििाए  ूँ  पाते  थे  और  चंदाजी  और  उिका  पहरिार
          आज  विनभन्न  योजिाओं  का  आग  े  मज़दूरी  से  प्ाप्त  िोिे  िािी  अत्त  कम
                                                                    ं
                                                                        े
          बढ़कर  िाभ  उठा  रिी  ि—बैंक  खात  े  आय  पर  आरश्त  था।  आनथसिक  तंगी  क
                             ैं
          खििािा  िो  या  आयुष्ाि  काड  का   कारण बच्ों कती पढ़ाई में व्िधाि िो रिा
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          िाभ ििा िो, गाूँि में परम्परागत खेती   था। बैंक क विरय में कोई जािकारी ििीं
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          को  सुधारिे  क  साथ  िी  कम  िागत,   थी।  आिश्यकता  पड़िे  पर  साहकार  स  े
                                                             े
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          आधुनिक जैविक कवर एिं सूक्ष् उद्यम   ऊची ब्ाज दर पर कज़ ििा पड़ता था।
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          को  बढ़ािा  द  रिी  ि।  घर-पहरिार  एि  ं
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                                           मकिाि स्वयं सिायता समि से जुड़िे क
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          समाज क मित्वपण निणयों में भी समि
                                           बाद  चंदाजी  कती  सामारजक  एिं  आनथसिक
                                 ै
          सदस्ों कती भागीदारी बढ़ रिी ि। समि
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                                           स्स्वत में सुधार आया। बैंक में आिे-जाि  े
          सदस्  अपिे  तथा  अपिे  पहरिार  क
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                                           से  बवक ं ग  सुविधाओं  कती  जािकारी  नमिी।
          स्वास्थ्,  पोरण,  रशक्ा  को  सुधारिे  क
                                      े
                                           चंदाजी आजीविका नमशि में सीआरपी का
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          निए भी अच्छा प्यासरत ि। ऐसी िी एक
                                           काम  करिे  िगीं,  रजससे  उिकती  आय  म  ें
                 ै
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          किािी ि मध् प्दश क गिा रज़ि कती
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                                           भी  िृद्द्ध  हुई।  साथ  िी  उन्ोंिे  जीडीपी  एिं
          रििे िािी श्रीमिरी चंदा िैरागरी कती।
                                                      े
                                           सामारजक  अंकक्ण  का  प्रशक्ण  प्ाप्त
          एक समय था जब चंदाजी कती अपिे गाूँि   वकया।  आजीविका  नमशि  क  माध्म  स  े
                                                                े
          में कोई पिचाि ििीं थी। घर पर िािि   बैंक सखी का प्रशक्ण प्ाप्त कर इहडयि
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          का ि िोिे क कारण कवर उत्ादि को   इब्स्ट्ूर ऑफ बवक ं ग एड फाइिेंस (IIBF)
          बाज़ार  तक  ििीं  भेज  पातीं  थीं  रजसस  े  परीक्ा  उत्तीण  कर  मध्ाचि  ग्ामीण  बैंक
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          उन्  उत्ादि  क  अच्छ  भाि  ििीं  नमि   में बैंक सखी का काय प्ारम् वकया। आज
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