Page 70 - Mann Ki Baat Hindi
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        ह, तावक छात् आखें बद करक भ्री            रोिध्गन  मठ,  पररी  क  चरण
                                                              भु
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        गणना की प्वरिया कर सक।                   कमलों को नमन करना चाहिा ह  ँ
                                                 मजन्ोंने स्ारकीय पभुस्क िैददक
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        मानन्रीय  प्धानमत््री  क  'मन  की
                                                 रणणि  नलखरी,  जो  एक  प्रेरणा  ह।
                                                                        ै
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        बात' में अरने काम क लिए प्शसा
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                                                 मझे लरिा ह क्क यह मशक्ा और
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        प्ाप् करने क बाद, श््री टकर्रीिाि
                                                 रणणि  क  क्ेत्  में  आश्चय्गजनक
                                                        े
        ने अरने छात्ों और उनक माता-
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                                           सधारों की शरुआि ह।’’
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        वरता कयो सदशों और कॉि क माध्म से
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        उनक समथ्पन और प्ार क लिए धन्िाद    िैददक गणणत क माध्म से हम भारत कयो
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        ददया और रखष्ट की वक िे लमिकर िैददक   आत्ालनभर बना सकते हैं और महाशगक्त
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        गणणत क माध्म से गणणत क िर कयो दूर   बनने क लिए आगे बढ़ा सकते हैं। जैसा वक
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        करेंगे।                            मानन्रीय  प्धानमत््री  ने  राष्ट  से  ‘ियोकि
                                           फॉर ियोकि’ हयोने का आग्रह वकया है, श््री
        िैददक  मठ  क  साथ  अरन्री  यात्ा  की
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                                           टकर्रीिाि का मानना  है वक िैददक गणणत

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        आधारणशिा  क  लिए  अरना  आभार
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                                           क माध्म से, भारत क छात् और णशक्षक
        वक्त  करते  हुए  उन्ोंने  कहा,  ‘‘मैं  भरी
                                           न किि ‘ियोकि फॉर ियोकि’ हयो सकत  े
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        क्िनम्रिापूि्गक  िैददक  रणणि  क  क्पिा
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                                           हैं बक्ल् भारत की इस प्ाच्रीन विरासत
        -  परम  पािन  स्वामरी  श्ररी  भारिरी  कष्ण
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                                           कयो विश्व प्णसद्ध कर सकते हैं।
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        िरीरजरी  महाराज  जरद्रु  शंकराचाय्ग,
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