Page 67 - Mann Ki Baat Hindi
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का अभूतरूि ययोगदान रहा है,
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णजन्ोंने बाइनर्री क णसद्धान्ों क
बारे में सि्पप्थम समझाया था। इस्री
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तरह, आयभट्ट और रामानुजन जैस े
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महान गणणतज्ों क काय और उनक
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ययोगदान भ्री हैं णजनका उल्ख
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भारत्रीय गणणत की धारा बदिने म ें
अिश्य वकया जाना चाठहए।
िैददक रणणि : रणणि को
बनाए रोचक और सरल
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यिा र्रीढ़्री क गणणत क भय स े
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जुड़्री उनकी गचिंताओां कयो दूर करन े
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क लिए मानन्रीय प्धानमत््री मयोद्री
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ने उन् िैददक गणणत क माग रर
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प्शस् हयोने कयो कहा। उन्ोंने कहा
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वक भारत में िैददक गणणत क
अस्स्त्व क कारण हम भारत्रीयों
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क लिए गणणत कभ्री कठठन विषय
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नहीं रहा है। आधलनक समय म ें
िैददक गणणत का श्ेय श्ररी भारिरी
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कष्ण िरीर जरी महाराज कयो जाता
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है। उन्ोंने गणनाओां की प्ाच्रीन
रद्धवत कयो रुनजमीवित कर उस े
िैददक गणणत की सज्ा द्री थ्री।
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उनकी णशष्या और नागरुर क श््री
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विश्व रुनलनविमाण सांघ की मानन्रीय
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महासगचि, मंजला तत्िेदरी के
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अनुसार, ‘‘श्गेर्री क िनों में आठ
िषषों की कड़्री तरस्ा और कठठन
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शयोध क बाद आदरण्रीय गुरुज्री न े
सबसे कठठन गणनाए रि भर में की जा
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अथि्पिेद से सयोिह गणणत्रीय णसद्धान्ों का
सकें ।
रुनलनविमाण वकया था।‘‘ इतने सूक्ष् प्यासों
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से ह्री विश्व कयो प्ाच्रीन भारत्रीय रद्धवत म ें आधुलनक समय में िैददक गणणत क
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लिरट आधलनक गणणत की भेंट द्री जा विकास से मरौजूदा र्रीढ़्री कयो हयोने िाि े
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सकत्री है, णजसकी मदद से मन-ह्री-मन िाभ रर मानन्रीय प्धानमत््री मयोद्री ने
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