Page 65 - Mann Ki Baat Hindi
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भारत्रीय उरमहाद््रीर में गणणत का समृद्ध
“अरने ‘मन की बात’ सम्योधन क
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इवतहास ३,००० िषषों से भ्री रुराना ह ै
माध्म से, मानन्रीय प्धानमत््री ने
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और शेष विश्व द्ारा इस ददशा में कदम
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आधुलनक समय में िैददक गणणत क
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बढ़ाने से सददयों रहि ह्री यहा उसका
महत्व कयो सह्री ढग से साझा वकया
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वारक अध्यन वकया जाता था। शून्
ह और मुझे आशा ह वक यह छात्ों
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क ययोगदान क साथ-साथ, भारत्रीय
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और उनक माता-वरता क लिए इस
गणणतज्ों ने वत्कयोणलमवत, ब्रीजगणणत,
बदिाि कयो अरनाने और उनकी
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अकगणणत, और ऋणात्क सख्ा
ां
गणणत्रीय क्षमताओां कयो और बढ़ाने
(नेगेठटि नम्स्प) सठहत अन् क्षेत्ों में
क लिए आसान बना दगा।।”
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मरौलिक ययोगदान ददया ह। इस ददशा में
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दुलनया भर में आज णजस दशमिि रद्धवत – मकल अग्रिाल
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का चिन हम दखते ह, उसका आरम्भ भ्री लनदशक, टिट णसनजमी इठिया
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भारत में ह्री हुआ था।
तयो आज णजस िैज्ालनक प्गवत कयो हम
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दख रह ह, िह शायद सम्भि नहीं हयोता।
शून्य से अनंि िक
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किकिस से कम्प्टरों तक क सभ्री
भारत में शून् क आविष्ार का विश्व िैज्ालनक आविष्ार शून् रर आधाठरत
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रर गहरा प्भाि रड़ा और इसने इवतहास ह। विज्ान जगत में शून् का महत्व
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की धारा बदि द्री थ्री। ऐसा माना जाता विज्ान क णसद्धान्ों में भ्री स्पष्ट हयोता
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ह वक यदद शून् का आविष्ार न हयोता ह। न्टन क लनयम हों या आइन्साइन
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