Page 52 - Mann Ki Baat - Hindi May 2022
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उत्तरयाखंड की चयार धयाम ययात्या

                                                     ू
                                                ूँ
          उत्तराखंड  कती  चार  धाम  या  छोरा  चार   सफदसिया  (अक्बर  या  ििम्र)  शुरू
                                                           ैं
          धाम  भारत  कती  सबसे  मित्वपूणन्स  तीथन्स   िोिे तक खुि रिते ि। चार धाम यात्ा
                                                     े
                          ै
                                                       ै
          यात्ाओं  में  से  एक  ि।  यि  यात्ा  चार   रजतिी  फदव्  ि  उतिी  िी  दुगन्सम  भी
                                            ै
                                 ै
          पवित्  स्िों  कती  यात्ा  िोती  ि  रजिमें   ि,  परंतु  यि  आत्मा  को  तृप्त  करती  ि।
                                                                       ै
          यमुिोत्ी,  गंगोत्ी,  कदारिाथ  और   यमुिा  माता  को  समवपसित,  यमुिा  िदी
                           े
          बद्रीिाथ शानमि ि। प्वतिर करीब छि   (गंगा  िदी  क  बाद  दूसरी  सबसे  पवित्
                        ैं
                              न्स
                                                     े
                                                       े
                    ूँ
                                                                  े
          मिीिों तक ऊचाई पर स्स्त यि चारों   भारतीय िदी) क उद्म स्ि क निकर
                          ैं
          तीथन्सस्ि बंद रिते ि, और उसक बाद   एक  तंग  दरके  में  स्स्त  यमुिोत्ी  मंफदर
                                  े
                                                      े
                                                               ै
          गनमसियों  (अप्ैि  या  मई)  से  खुिकर   उत्तरकाशी रज़ि में स्स्त ि। उत्तरकाशी
                                                          में   भारत   कती
                                                          सबसे  पवित्  िदी
                                                          गंगा  को  समवपसित
                                                          उिका  उद्म  स्ि
                                                          गंगोत्ी  भी  स्स्त
                                                           ै
                                                          ि।  रुद्रप्याग  रज़ि  े
                                                          में कदारिाथ स्स्त
                                                             े
                                                           ै
                                                          ि, जो भगिाि रशि
                                                                    ै
                                                          को समवपसित ि, ििीं
                                                          बद्रीिारायण  मंफदर
                                                                    ु
                                                          भगिाि  विष्  को
                                                          समवपसित  ि।  ऐसा
                                                                  ै
                                                          मािा  जाता  ि  वक
                                                                    ै
                                                          चार  धाम  यात्ा
                                                          को    दनक्णाितन्स
                                                          यािी  घड़ी  कती  सुई
                                                          कती  फदशा  में  पूरा
                                                          करिा चाहिए। अतः
                                                          यमुिोत्ी  से  आरंभ
                                                          कती जािे िािी यि
                                                          यात्ा  यमुिोत्ी  से
                                                          शुरू िोकर, गंगोत्ी,
                                                          कदारिाथ    और
                                                           े
                                                          अंततः बद्रीिाथ पर
                                                          समाप्त िोती ि। ै
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