Page 28 - Mann Ki Baat Hindi
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                                                         े
                                           "इस  संग्रहालय  क  ननमाण  से  मैं  और
                                                                ैं
                                           मेरा  पडरिार  बहुि  प्रसन्न  ह।  यभुिा  परीढ़री
                                                        े
                                           इस  संग्रहालय  क  माध्यम  से  यह  जान
                                                                     ं
                                           सकररी की भारि क सभरी प्रधानमतत्यों,
                                              े
                                                         े
                                           पं. जिाहरलाल नेहरू से लकर प्रधानमंत्री
                                                              े
                                                                     े
                                           श्ररी  नरेन्द्  मोदरी,  ने  क्कस  िरह  दश  क
                                                                        े
                                           नलए काम क्कया। क्ा उनका जरीिन रा,
                                           किल प्रधानमंत्री काल का नहीं, बल्कि
                                            े
                                                   े
                                                                  भु
                                           उससे पहल भरी उन्ोंने क्ा कछ क्कया,
                                                              े
                                           क्कस  क्िचारधारा  से  चल—  ये  सब  इस
                                           संग्रहालय में ददखाया रया ह। ै
             नरीरज शेखर (एमपरी)            संग्रहालय  क  नलए  हमने  क्पिाजरी
                                                      े
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                                           (चंद्रशेखर  जरी)  क  ननजरी  दस्ािेज़
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                  रि्प प्धानमत््री
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                                           ददए  ह।  इस  िरह  क  दस्ािेज़,  जैस  े
                                                ैं
             स्वगमीय श््री चद्रशेखर क रत्
                              े
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