Page 59 - Mann Ki Baat Hindi
P. 59

े
                                           क कच् क रण की मािधार्री जनजावत
                                            े
                                                         ां
                                           का  ह,  जयो  जि-सरक्षण  क  लिए  ‘िृदास’
                                               ै
                                                              े
                                                                   ैं
                                                                        े
                                           नामक विगध का उरययोग करते ह, णजसक
                                                        ु
                                                  े
                                                                     ैं
                                           तहत  छयोट-छयोट  कए  बनाए  जाते  ह  और
                                                          ूँ
                                                      े
                                                     े
                                           इसकी रक्षा क लिए आस-रास रेड़-ररौधे
                                           िगाए जाते ह। ैं
                                           चाह बसत्री दि्री क प्यासों से कयोस्री नद्री
                                                     े
                                                        े
                                              े
                                                 ां
                                           कयो  रुनजमीवित  वकया  जाना  हयो  या  उत्तर
                                             े
                                                 े
                                           प्दश  क  रामरुर  में  अमृत  सरयोिर  का
                                                    े
                                           लनमा्पण,  चाह  िह  ‘हिमा’  हयो  या  ‘िृदास’
                                                                      ैं
                                           ररांरराए,  यह  सभ्री  सावबत  करते  ह  वक
                                                 ूँ
                                           प्ेठरत वगक्त और सचेत समुदाय समाज में
                                           रठरित्पन िा सकते ह। आइए हम ‘आज़ाद्री
                                                          ैं
                                           का  अमृत  महयोत्सि’  मनाने  क  दरौरान,
                                                                  े
             पारम्पररक िेशभूषा में भ्रील यिक
                               ु
                                                             ां
                                                      ूँ
                                           रान्री  की  हर  बूद  कयो  सरलक्षत  करने  का
                                            ां
                                                                        े
                                                  ें
        रारांरठरक  सांरचनाओां  का  रता  िगान  े  सकल्प ि और भारत कयो जि समृद्ध दश
               ें
        और  उन्  अमृत  सरयोिर  में  बदिने  का   बनाए। ूँ
        आग्रह वकया।
        समाज  में  बदिाि  िाने  में  समुदाय
        सबसे महत्वरण्प भूलमका लनभाते ह। जब
                                  ैं
                   ू
                            ैं
        समुदाय  एक  साथ  आते  ह,  तयो  हर  रहि   प्रधानमंत्री का आह्ान
        सफि  हयोत्री  ह।  ऐसा  ह्री  एक  उदाहरण   “मैं,  आर  सभ्री  से,  और  खासकर,
                    ै
               े
        मध्  प्दश  की  भ्रीि  जनजावतयों  की   यिाओां  से  चाहगा  वक  िे  इस
                                                          ूँ
                                              ु
                        ै
        ’हिमा’ ररांररा का ह। यह एक ऐस्री प्था   अलभयान क बारे में जानें और इसकी
                                                     े
        ह  णजसमें  भ्रीि  समुदाय  ररस्पर  चचा्प  क   णजम्दार्री  भ्री  उठाए।  अगर  आरक
         ै
                                      े
                                                                      े
                                                 े
                                                            ां
                      ां
        माध्म  से  जि-सरक्षण  जैस्री  चुनरौवतयों   क्षेत् में स्वतांत्ता सांग्राम से जुड़ा कयोई
                                   ै
        का लमिजुि कर समाधान ढूूँढता ह। हर    इवतहास ह, वकस्री सेनान्री की स्मृवत
                                                    ै
                                   े
        साि माच्प क मह्रीने में, मध् प्दश क रूरे   ह, तयो उसे भ्री अमृत सरयोिर से जयोड़
                 े
                                े
                                              ै
        झाबुआ  णजि  में  ’हिमा’  की  रुकार  रर   सकते ह।”
                  े
                                                   ैं
        अरना  ययोगदान  दने  क  लिए  8,000  से
                         े
                      े
                                                          े
                                             “आइए,  आज़ाद्री  क  अमृत  महयोत्सि
                                 ृ
        अगधक ियोग लनस्वाथ्प भाि से प्कवत मा  ूँ
                                                        ां
                                             में  हम  जि-सरक्षण  और  ज्रीिन-
        क लिए हाथ्रीरािा की रहाड़्री रर आते ह।
         े
                                      ैं
                                                                      ू
                                                             ें
                                                                      ूँ
                                                                   ू
                                                                   ूँ
                                              ां
                                             सरक्षण का सकल्प ि। हम बद-बद
                                                       ां
            े
                                ां
        उनक प्यासों से क्षेत् में जि सकट कम
                                             जि  बचाएगे  और  हर  एक  ज्रीिन
                                                     ां
        हुआ ह और भूजि बढ़ना शुरू हयो गया ह।
                                      ै
             ै
                                                 ां
                                             बचाएगे।”
        एक  और  उल्खन्रीय  उदाहरण  गुजरात
                    े
                                       56
   54   55   56   57   58   59   60   61   62   63   64