Page 61 - Mann Ki Baat Hindi
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िहयोग िे िमृणद्
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मयालरयारी जिजयाचत क जि प्रययाि और िरकयारी पहल िे िूखयाग्रस् कच्छ में आयया पयािी
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प्धानमत््री श््री नरेन्द् मयोद्री ने अरने 'मन इस क्षेत् में जि प्बध क लिए सरकार
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की बात' क सम्योधन में गुजरात की द्ारा वकए गए कई प्यासों में से सबसे
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मािधार्री जनजावत का िण्पन वकया। कच् महत्वरण्प ह सरदार सरयोिर िम से लनकि्री
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का ये बजारों और चरिाहों का समुदाय िे नहरें जयो वक गुजरात और रड़योस्री राज्यों
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'िृदास' नामक अरन्री ररांररा क माध्म क कई सूखाग्रणसत इिाकों तक नम्पदा
से कशिता से रान्री का सरक्षण करता का रान्री ि जात्री ह। ैं
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आया ह। 'िृदास' क तहत इस जनजावत क
मािधार्री जनजावत का घर, यान्री वक कच्,
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ियोग नद्री क वकनारे छयोट-छयोट कए बनाते
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जहा कभ्री हफ्ों तक रान्री नहीं रहुचता
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ह, और उनकी रक्षा क लिए आस-रास
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था, िहा अब नम्पदा-कच् नहर क माध्म
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ररौधारयोरण भ्री वकया जाता था। इन कओां
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से मा नम्पदा का आश्रीिा्पद रहुच रहा ह।
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की मदद से मािधार्री जनजावत क राितू
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मािधार्री जनजावत क श्ररी क्िष्णभु अहरीर
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मिणशयों कयो भूजि लमिा करता था।
बताते ह कसे इस नहर क आने से क्षेत्
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िवकन कच् काफी समय से रान्री
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क ियोगों क ज्रीिन में एक बड़ा बदिाि
से ग्रणसत क्षेत् में तब््रीि हयो चुका ह, ै
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आया ह। "पहल पानरी की कमरी क कारण
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णजसका असर न किि मािधार्री
मालधाररी लोरों को बहुि मश्किलों का
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जनजावत बक्ल् उन वकसानों रर भ्री
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सामना करना पड़िा रा, उन् दूर-दूर िक
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रड़ा ह जयो खेत्री क लिए रूर्री तरह से णसफ
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पानरी ढ ूँढने जाना पड़िा रा। पर जब से
मानसून की बाठरश रर लनभ्पर रहते ह।
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य नहर हमारे क्ेत् में आई ह, इस समस्ा
का समाधान हो रया ह। अब हमारे
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पास पानरी ह मजसका इस्माल हम
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बहुि सहजिा से करिे ह।" मािधार्री
जनजावत क एक और सदस्,
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नारजरी भाई रबाररी बताते हैं वक नहर
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क कारण अब क्षेत् क बाधों और
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तािाबों में दफर से रान्री आ गया है।
मािधार्री जनजावत का 'िृदास'
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ररांररा क रूर में सामठहक प्यास
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और साथ ह्री नहरों क नेटिक क
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माध्म से नमदा क रान्री कयो कच्
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में िाने की सरकार की रहि, कच्
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कयो समृद्द्ध की ओर ि जाने में मदद
कर रह्री हैं।
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ििास परम्परा
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